'स्वातंत्र्योत्तर हिंदी की कहानी को हिमांशु जोशी की कहानियों के बगैर पहचाना नहीं जा सकता। हिंदी कहानी ने जितनी भी रचनात्मक मंजिलें तय की हैं, उन रचना यात्राओं और मंजिलों पर उनकी कोई न कोई कहानी साथ चलती या मंजिल पर मौजूद मिलती है।
"यह सही है कि हिमालय की हर चट्टान से गंगा नहीं निकलती, लेकिन हिमांशु जोशी के अनुभव-जन्य हिमालय की प्रत्येक चट्टान से एक गंगा उर्वरा सदानीरा नदी निश्चय ही निकलती है।"
-कमलेश्वर यशस्वी कथाकार साहित्य अकादमी से पुरस्कृत
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