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Sampoorna Kahaniyan: Raghuvir Sahay

Om Sampoorna Kahaniyan: Raghuvir Sahay

रघुवीर सहाय अप्रतिम कवि थे। विचार की ठोस और स्पष्ट जमीन पर पैर रखे हुए उन्होंने अपने कवि को एक बड़ा आकाश दिया जिसे आनेवाले समय में एक शैली बन जाना था। यह नवोन्मेष उनकी कहानियों में भी था, इससे कम लोग परिचित हैं। इस संकलन में उपस्थित उनकी समग्र कथा-सम्पदा के पाठ से हम जान सकते हैं कि कविता में जिस वृहत्तर सत्य को अंकित करने का प्रयास वे करते थे, वह किसी फॉर्म को साधने भर का उपक्रम न था, अपने अनुभव और उसकी सम्पूर्ण अभिव्यक्ति की व्याकुलता थी जो उन्हें अन्य विधाओं तक भी ले जाती थी। इस पुस्तक में संकलित उनके कथा-संग्रहों के साथ प्रकाशित दो भूमिकाएँ एक बड़े रचनाकार के बड़े सरोकारों का पता देती हैं, जिनमें एक चिन्ता लेखन के उद्देश्य को लेकर भी है। वे कहते हैं कि मनुष्यों के परस्पर सम्बन्धों को बार-बार जानने और जाँचने की आवश्यकता ही लेखन की सबसे जरूरी वजह है। कुछ तत्त्व हमेशा काम करते रहते हैं जिनके राजनीतिक उद्देश्य समता और न्याय के विरुद्ध होते हैं, वे संगठित होकर लेखक द्वारा बताए सत्य को विकृत कर प्रचारित किया करते हैं। लेखक के लिए बार-बार अपने मत को बताना इस आक्रमण के विरुद्ध आवश्यक होता है। रघुवीर सहाय की कविताएँ अपनी काया का निरन्तर अतिक्रमण करते हुए यही कार्य हमेशा करती रहीं; और ये कहानियाँ भी वही करती हैं।

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  • Språk:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9788126730612
  • Bindende:
  • Hardback
  • Sider:
  • 206
  • Utgitt:
  • 1. januar 2018
  • Dimensjoner:
  • 152x16x229 mm.
  • Vekt:
  • 472 g.
  • BLACK NOVEMBER
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Beskrivelse av Sampoorna Kahaniyan: Raghuvir Sahay

रघुवीर सहाय अप्रतिम कवि थे। विचार की ठोस और स्पष्ट जमीन पर पैर रखे हुए उन्होंने अपने कवि को एक बड़ा आकाश दिया जिसे आनेवाले समय में एक शैली बन जाना था। यह नवोन्मेष उनकी कहानियों में भी था, इससे कम लोग परिचित हैं। इस संकलन में उपस्थित उनकी समग्र कथा-सम्पदा के पाठ से हम जान सकते हैं कि कविता में जिस वृहत्तर सत्य को अंकित करने का प्रयास वे करते थे, वह किसी फॉर्म को साधने भर का उपक्रम न था, अपने अनुभव और उसकी सम्पूर्ण अभिव्यक्ति की व्याकुलता थी जो उन्हें अन्य विधाओं तक भी ले जाती थी। इस पुस्तक में संकलित उनके कथा-संग्रहों के साथ प्रकाशित दो भूमिकाएँ एक बड़े रचनाकार के बड़े सरोकारों का पता देती हैं, जिनमें एक चिन्ता लेखन के उद्देश्य को लेकर भी है। वे कहते हैं कि मनुष्यों के परस्पर सम्बन्धों को बार-बार जानने और जाँचने की आवश्यकता ही लेखन की सबसे जरूरी वजह है। कुछ तत्त्व हमेशा काम करते रहते हैं जिनके राजनीतिक उद्देश्य समता और न्याय के विरुद्ध होते हैं, वे संगठित होकर लेखक द्वारा बताए सत्य को विकृत कर प्रचारित किया करते हैं। लेखक के लिए बार-बार अपने मत को बताना इस आक्रमण के विरुद्ध आवश्यक होता है। रघुवीर सहाय की कविताएँ अपनी काया का निरन्तर अतिक्रमण करते हुए यही कार्य हमेशा करती रहीं; और ये कहानियाँ भी वही करती हैं।

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