Norges billigste bøker

महाराजा सूरजमल का युग एवं

Om महाराजा सूरजमल का युग एवं

इस पुस्तक में महाराजा सूरजमल का इतिहास लिखा गया है जिसमें महाराजा के काल की प्रमुख ऐतिहासिक घटनओं को तो स्थान दिया ही गया है साथ ही उस काल में मुगलों, मराठों एवं राजपूतों के बीच के राजनीतिक सम्बन्धों एवं प्रवृत्तियों की भी समीक्षा की गई है। महाराजा सूरजमल के युग की प्रवृत्तियाँ भारत के इतिहास में गहन विपत्ति-काल की सूचना देती हैं। उस काल में उत्तर-भारत को विनाशकारी शक्तियों द्वारा जकड़ लिया गया था। महाराजा सूरजमल ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा को अहमदशाह अब्दाली के विध्वंस से बचाने के लिए 10 हजार जाट वीरों का बलिदान देकर देश के समक्ष राष्ट्रीय राजनीति का आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने हजारों शिल्पियों एवं श्रमिकों को काम उपलब्ध कराया, किसानों की रक्षा की तथा ब्रजभूमि को उसका क्षीण हो चुका गौरव लौटाया। महाराजा ने गंगा-यमुना के हरे-भरे क्षेत्रों से रूहेलों, बलूचों तथा अफगानियों को खदेड़कर चम्बल से लेकर यमुना तक के विशाल क्षेत्रों की प्रजा को अभयदान दिया। यह एक रोचक एवं पठनीय पुस्तक है।

Vis mer
  • Språk:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9788194198499
  • Bindende:
  • Paperback
  • Sider:
  • 122
  • Utgitt:
  • 22. oktober 2020
  • Dimensjoner:
  • 152x7x229 mm.
  • Vekt:
  • 172 g.
Leveringstid: 2-4 uker
Forventet levering: 5. januar 2026
Utvidet returrett til 31. januar 2026
  •  

    Kan ikke leveres før jul.
    Kjøp nå og skriv ut et gavebevis

Beskrivelse av महाराजा सूरजमल का युग एवं

इस पुस्तक में महाराजा सूरजमल का इतिहास लिखा गया है जिसमें महाराजा के काल की प्रमुख ऐतिहासिक घटनओं को तो स्थान दिया ही गया है साथ ही उस काल में मुगलों, मराठों एवं राजपूतों के बीच के राजनीतिक सम्बन्धों एवं प्रवृत्तियों की भी समीक्षा की गई है। महाराजा सूरजमल के युग की प्रवृत्तियाँ भारत के इतिहास में गहन विपत्ति-काल की सूचना देती हैं। उस काल में उत्तर-भारत को विनाशकारी शक्तियों द्वारा जकड़ लिया गया था। महाराजा सूरजमल ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा को अहमदशाह अब्दाली के विध्वंस से बचाने के लिए 10 हजार जाट वीरों का बलिदान देकर देश के समक्ष राष्ट्रीय राजनीति का आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने हजारों शिल्पियों एवं श्रमिकों को काम उपलब्ध कराया, किसानों की रक्षा की तथा ब्रजभूमि को उसका क्षीण हो चुका गौरव लौटाया। महाराजा ने गंगा-यमुना के हरे-भरे क्षेत्रों से रूहेलों, बलूचों तथा अफगानियों को खदेड़कर चम्बल से लेकर यमुना तक के विशाल क्षेत्रों की प्रजा को अभयदान दिया। यह एक रोचक एवं पठनीय पुस्तक है।

Brukervurderinger av महाराजा सूरजमल का युग एवं



Finn lignende bøker
Boken महाराजा सूरजमल का युग एवं finnes i følgende kategorier:

Gjør som tusenvis av andre bokelskere

Abonner på vårt nyhetsbrev og få rabatter og inspirasjon til din neste leseopplevelse.