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  • av Rakesh Shankar Bharti
    222,-

  • av Ramesh Neelotpal
    208,-

  • av Subhash Neerav
    194,-

  • av Vikesh Nijhawan
    222,-

  • av Ushakiran Khan
    208,-

  • av Tejendra Sharma
    222,-

  • av Abha Kala
    194,-

  • av Abha Kala
    208,-

  • av Vikram Singh
    194,-

  • av Harbhajan Singh Mehrotra
    208,-

  • av Ramesh Kapur
    222,-

  • av Ashok Chakradhar
    236 - 383,-

  • av NEELIMA & DR. SINGH
    208 - 411,-

  • av Alok Mishra
    194 - 397,-

  • av Sandeep Murarka
    411,-

  • av Mahesh Darpan
    461,-

    दृश्य-अदृश्य चरित्र आपके सामने हो और आप उसे समझ न सकें। इतना अनप्रिडिक्टेबल हो वह कि पल पल धोखा देने लगे। जीवन में समय के साथ अपनी ही तरह चलना चाहा था कथानायक विचंश ने। शायद उनका मन था कि समय की शक्लोसूरत भी संवारते चलें और एक नए इतिहास की निर्मिति भी कर सकें। जिस सीमित परिवेश से निकलकर वह एक बड़ी दुनिया के नागरिक बने थे, क्या वह उन्हें समझ भी सकी ? कैसे बनाई एक नई दुनिया इस कथा के नायक ने जहां लोभ, मोह, स्वार्थ, हानि-लाभ का कोई गणित दूर-दूर तक नजर ही नहीं आता था। ऐसा क्या था उनमें कि जो एक बार उनसे मिल लेता, उन्हीं का होकर रह जाता। पर उनकी दुनिया में शामिल होने की उनकी कुछ शर्तें भी थीं। मिलने वाला निष्कुंठ हो, महज अपने समय में जीने-मरने वाला न हो, वह अपने वृहत्तर समाज के अतीत को तो जाने ही, उसे उसका भविष्य संवारने की संजीदा फिक्र भी रखता हो। वह ऊपर से एकाकी नजर आते हों भले, पर उनका संसार कितना भरा-पूरा था कि उसकी एक एक चीज वह आंख बंद कर के भी बाकायदा महसूस कर सकते थे। उन्होंने पूरी दुनिया घूमते हुए अपने मिजाज के लोगों को पहचाना ही नहीं, हमेशा के लिए अपना भी बना लिया।उनकी यायावरी की मासूमियत ही तो थी जिसने भाषा, समाज, देश, धर्म और संस्कारों की तमाम सरहदों को ध्वस्त कर अपनी एक नवीन दुनिया बनाई थी। जो बचपन से ही अपनी बात बड़े साफ और निर्भीक ढंग से कहने में यकीन रखते थे और जन्माष्टमी की झांकी पर सबसे हटकर भारत माता का रोल करने लगते थे। तब बनारस ही सब कुछ था विचंश के लिए, जो अंत तक उनके साथ भीतर ही भीतर सफर करता रहा। यूं तो जिंदगी हर कदम पर उन्हें कोई न कोई सबक सिखाती ही रही, पर सबसे बड़ा सबक वह खुद बन गए दूसरों के लिए। उन्होंने आजादी से बहुत-सी उम्मीदें लगाई थीं, बहुत-से जेनुइन समाज सुधारकों, रचनाकारों, बद्धिजीवियों, कलाकारों और नेताओं का साथ पा

  • av Jainandan
    425,-

  • av Vinod Kumarbashar Tripathi
    411,-

  • av Nivedita
    411,-

  • av Uma Jhunjhunwala
    194 - 397,-

  • av Animesh Verma
    208 - 411,-

  • av Rajgopal Verma Singh
    222 - 425,-

  • av Mahesh Darpan
    383 - 512,-

  • av Prasana Pathsani
    194 - 306,-

  • av Gayatribala Panda
    369 - 411,-

  • av Advikaa Kapil
    306,-

  • av MD Singh
    397,-

  • av Amitabh Budholia
    397,-

  • - 3
    av Sandeep Murarka
    208,-

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