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Bøker utgitt av Jvp Publication Pvt. Ltd.

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  • av Rakesh Shankar Bharti
    214,-

  • av Ramesh Neelotpal
    201,-

  • av Subhash Neerav
    187,-

  • av Vikesh Nijhawan
    214,-

  • av Ushakiran Khan
    201,-

  • av Tejendra Sharma
    214,-

  • av Abha Kala
    187,-

  • av Abha Kala
    201,-

  • av Vikram Singh
    187,-

  • av Harbhajan Singh Mehrotra
    201,-

  • av Ramesh Kapur
    214,-

  • av Ashok Chakradhar
    228 - 369,-

  • av NEELIMA & DR. SINGH
    180 - 362,-

  • av Alok Mishra
    168 - 352,-

  • av Sandeep Murarka
    362,-

  • av Mahesh Darpan
    461,-

    दृश्य-अदृश्य चरित्र आपके सामने हो और आप उसे समझ न सकें। इतना अनप्रिडिक्टेबल हो वह कि पल पल धोखा देने लगे। जीवन में समय के साथ अपनी ही तरह चलना चाहा था कथानायक विचंश ने। शायद उनका मन था कि समय की शक्लोसूरत भी संवारते चलें और एक नए इतिहास की निर्मिति भी कर सकें। जिस सीमित परिवेश से निकलकर वह एक बड़ी दुनिया के नागरिक बने थे, क्या वह उन्हें समझ भी सकी ? कैसे बनाई एक नई दुनिया इस कथा के नायक ने जहां लोभ, मोह, स्वार्थ, हानि-लाभ का कोई गणित दूर-दूर तक नजर ही नहीं आता था। ऐसा क्या था उनमें कि जो एक बार उनसे मिल लेता, उन्हीं का होकर रह जाता। पर उनकी दुनिया में शामिल होने की उनकी कुछ शर्तें भी थीं। मिलने वाला निष्कुंठ हो, महज अपने समय में जीने-मरने वाला न हो, वह अपने वृहत्तर समाज के अतीत को तो जाने ही, उसे उसका भविष्य संवारने की संजीदा फिक्र भी रखता हो। वह ऊपर से एकाकी नजर आते हों भले, पर उनका संसार कितना भरा-पूरा था कि उसकी एक एक चीज वह आंख बंद कर के भी बाकायदा महसूस कर सकते थे। उन्होंने पूरी दुनिया घूमते हुए अपने मिजाज के लोगों को पहचाना ही नहीं, हमेशा के लिए अपना भी बना लिया।उनकी यायावरी की मासूमियत ही तो थी जिसने भाषा, समाज, देश, धर्म और संस्कारों की तमाम सरहदों को ध्वस्त कर अपनी एक नवीन दुनिया बनाई थी। जो बचपन से ही अपनी बात बड़े साफ और निर्भीक ढंग से कहने में यकीन रखते थे और जन्माष्टमी की झांकी पर सबसे हटकर भारत माता का रोल करने लगते थे। तब बनारस ही सब कुछ था विचंश के लिए, जो अंत तक उनके साथ भीतर ही भीतर सफर करता रहा। यूं तो जिंदगी हर कदम पर उन्हें कोई न कोई सबक सिखाती ही रही, पर सबसे बड़ा सबक वह खुद बन गए दूसरों के लिए। उन्होंने आजादी से बहुत-सी उम्मीदें लगाई थीं, बहुत-से जेनुइन समाज सुधारकों, रचनाकारों, बद्धिजीवियों, कलाकारों और नेताओं का साथ पा

  • av Jainandan
    409,-

  • av Vinod Kumarbashar Tripathi
    362,-

  • av Nivedita
    396,-

  • av Uma Jhunjhunwala
    166 - 383,-

  • av Animesh Verma
    180 - 396,-

  • av Rajgopal Verma Singh
    194 - 409,-

  • av Mahesh Darpan
    338 - 512,-

  • av Prasana Pathsani
    166 - 306,-

  • av Gayatribala Panda
    324,99 - 396,-

  • av Advikaa Kapil
    306,-

  • av MD Singh
    352,-

  • av Amitabh Budholia
    352,-

  • - 3
    av Sandeep Murarka
    178,-

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