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Bøker av Rachna Malhotra

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  • av Rachna Malhotra
    173,-

    About the Book: धूल सरमाया है जीवन का। जीवन इसीसे शुरू होता है और खत्म भी।और फिर भी हम इसे झटकना चाहते हैं खुदसे। कुछ कड़वे जज़्बात और सच्चाइयां भी ऐसी ही हैं जिनसे हम भागते रहते हैं, नज़र बचाते रहते हैं। धूल उन्ही जज़्बातों और सच्चाइयों से आपको रु-ब-रु कराने की एक कोशिश है। मेरी यही ख्वाइश है के इसे जो भी पढ़े, संबंध बना सके अपने अंदर के जज़्बातों से। अगर मेरी कविताएं उन एहसासों और जज़्बातों की आवाज़ बन सकी हैं तो मेरे लिए ये बहूत संतुष्टि की बात होगी। हाँ कुछ पहलू इश्क़ और प्रेरणा के भी हैं क्योंकि उनके बिना ज़िन्दगी में आगे बढ़ना मुश्किल है। जीवन में दुःख और विपदाएं बस ज़रिया हैं अपने अंदर के प्रेरणा और हिम्मत को जागृत करने का। हम सब उलझे अपनी ही महाभारत में हम सब अर्जुन, खोज रहे अपने सारथी को।- रचना About the Author: रचना ने ज़िन्दगी से तजुर्बों और इंसानी भावनाओं को करीब से देखा और अनुभव किया है। और इन्ही अनुभवों और भावनाओं को शब्दों का रूप देने की कोशिश रहती है रचना की - इंसानी रिश्तों को और ताल्लुकात को समझने और उसे शब्दों में उतारकर पेश करने की कोशिश। पेशे से वो एक शिक्षिका है, पर एक बहुमुखी कवयित्री भी हैं जो हिंदी-उर्दू व अंग्रेज़ी, दोनों ही भाषाओं में कविता लिखती हैं और मुंबई में कईं 'ओपन माइक' में अपनी कविताएं पढ़ चुकी हैं। 2018 में, यौरकोट के 'लैंग्वेज फेस्ट' में वो बैंगलोर में भी परफॉर्म कर चुकी है। लिखने के अलावा, उन्हें यात्रा करना, संगीत सुनना और मंडल चित्र बनाना पसंद है। ज़िन्दगी के सफर से उन्हें प्रेरणा मिलती है लिखने की, इसलिए उनकी कविताएं आपको ज़िन्दगी से रु-ब-रु कराएं धूल (Dhool)

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