Utvidet returrett til 31. januar 2025

Bøker av Prafulla Kumar Tripathi

Filter
Filter
Sorter etterSorter Populære
  • av Prafulla Kumar Tripathi
    160,-

    About the Book: अपना देश "वसुधैव कुटुम्बकम" नामक सनातन धर्म के मूल आदर्श सिद्धांत में विश्वास रखने वाला देश है इसका मतलब धरती ही परिवार है एक का सुख - दुःख दूसरे का सुख-दुःख होना चाहिए सिद्धांतत यह बहुत अच्छी बात है लेकिन व्यवहारत उधर अपने ही देश में समय समय पर "एकला चलो रे" का भी तो आवाहन हुआ है, जिसका अर्थ है कि आप अपने मंजिल की तरफ अपने ढंग से आगे, अकेले ही बढ़ते रहें इसी "आगे और अकेले" बढ़ने के जोश-जुनून ने समीर और मीरा का घर उजाड़ना शुरू कर दिया है समीर और मीरा ही नहीं आज ढेर सारे लोगों को बेघर होना पड़ रहा है मीरा आधुनिक दौर की युवती है और उसे अपने कैरियर को किसी भी हाल में दांव पर नहीं लगाना है समीर है कि उसे घर बसाने के लिए एक ऐसी गृहिणी चाहिए जो अपने कैरियर और दाम्पत्य दोनों पर खरी उतरे मीरा दाम्पत्य जीवन में सेक्स सम्बन्ध बनाने से इसीलिए बचती फिरती है कि कहीं बाल बच्चों के चक्कर में उसका कैरियर बनाने का सपना ही न धूमिल हो जाय उधर नरेंदर, मीरा का चालाक सहपाठी और कैरियर गाइड, मीरा का मददगार है हालांकि वह भी मीरा की शारीरिक निकटता चाहता है दोनों इसी कशमकश में एकाधिक बार साहचर्य का सुख भी उठा चुके हैं लेकिन उन दोनों के विवाह करके घर बसाने में दिक्कतें हैं कुछ ऐसे ही ताने बाने को लेकर "स्टोरीमिरर" के लिटरेरी जनरल श्री प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी द्वारा रचा गया सामाजिक और पारिवारिक आइना दिखाता उपन्यास है - "उजड़ा हुआ दयार !"

Gjør som tusenvis av andre bokelskere

Abonner på vårt nyhetsbrev og få rabatter og inspirasjon til din neste leseopplevelse.